India Singapore Semiconductor Ecosystem Deal : भारत सिंगापुर मिलकर स्थापित करेंगे सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम साझेदारी पर समझौते पर हस्ताक्षर
Does Singapore Export Semiconductors : सिंगापुर ने गुरुवार को पीएम मोदी एक सेमीकंडक्टर केंद्र पहुंचे जहां उन्होंने फिर प्रशिक्षक प्राप्त कर रही उड़ीसा शब्द स्किल सेंटर की एक प्रशिक्षु को स्नेहहाशीष दिया
इस समझौते से सिंगापुर की कंपनियों को भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में प्रवेश करने के लिए आवश्यक मदद और सुविधाएं मिलेंगी। माना जा रहा है कि भारत और ताइवान के बीच जल्द ही इस तरह का एक और समझौता होने वाला है। भारत पहले ही सेमीकंडक्टर विनिर्माण में एक बड़ी ताकत बनने की इच्छा जता चुका है।
आने वाले समय में उसे देश की धक होगी जिसके पास सेमी कंडक्टर की ताकत होगी ऐसे में गुरुवार को भारत और सिंगापुर के बीच सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में इकोसिस्टम बनाने के लिए किया गया समझौता दोनों देशों को एक बड़ी बढ़त देने की क्षमता रखता है मोटे तौर पर यह समझौता सेमीकंडक्टर निर्माण में जूती सिंगापुर की कंपनियों की पूंजी में प्रौद्योगिकी और भारतीय प्रतिभा तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के बीच सेतु का काम करें
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पीएम नरेंद्र मोदी और उनके समक्ष लॉरेंस वोंग के सामने गुरुवार को आईटी व इलेक्ट्रॉनिक मंत्री अश्विनी वैषणव और सिंगापुर के व्यापार में उद्योग मंत्री गण किस योग के बीच किए गए समझौते का आदान-प्रदान किया गया यह समझौता 26 अगस्त 2024 को किया गया था यह समझो तो सिंगापुर की कंपनियों को भारत में सेमीकंडक्टर निर्माण के विभिन्न क्षेत्रों में उतरने के लिए जरूरी मंद वह सुविधा प्रदान करेगी माना जा रहा है कि इस तरह का एक और समझौता जल्दी भारत में ताइवान के बीच होने वाला है
भारत पहले ही सेमीकंडक्टर निर्माण में एक बड़ी शक्ति बनने की अपनी इच्छा जाता चुका है पिछले एक वर्ष के भीतर पांच सेमीकंडक्टर प्लांट की मंजूरी दी गई है भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों घरेलू उपकरणों आदि की बढ़ती हुई मांग को देखकर माना जाता है कि यहां चिप्स सेमीकंडक्टर की मांग काफी ज्यादा होगी दूसरी तरह सिंगापुर की कंपनियों के पास प्रौद्योगिकी है
लेकिन बाजार नहीं, सेमीकंडक्टर बनाने के लिए पानी, बिजली, जमीन और श्रम की आवश्यक मात्रा नहीं है, तो श्रम बहुत महंगा है सिंगापुर इस उद्योग में दक्षिण कोरिया और मलेशिया से पिछड़ने लगा है सिंगापुर की कंपनियां भारत में प्लांट लगाना सिर्फ यहां की घरेलू मांग पूरा कर सकती हैं बल्कि वैश्विक स्तर पर भी छीनी है ताइबानी कंपनियां का मुकाबला कर सकती है
सिंगापुर की कंपनियों के पास तकनीक है, लेकिन बाजार नहीं है, और उनके पास सेमीकंडक्टर बनाने के लिए आवश्यक पानी, बिजली, जमीन, मजदूर और अन्य आवश्यक सामग्री की कमी है। मजदूर भी वहां बहुत महंगे हैं। इस वजह से सिंगापुर इस उद्योग में दक्षिण कोरिया और मलेशिया से पिछड़ने लगा है। भारत में प्लांट लगाकर सिंगापुर की कंपनियां चीनी और ताइवानी कंपनियों से मुकाबला कर सकती हैं।